कांग्रेस पार्टी और उसके साथी संगठनों ने 23 मार्च, 2024 को भगत सिंह की मृत्यु के 92वें वर्षगांठ को "शहीद दिवस" के रूप में मनाया। यह दिन उनके साहस, बलिदान, और अमर विरासत को समर्पित है। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के साथ, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी साहसी और आत्मबलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊँचाइयों तक ले जाया।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के जालंधर ज़िले में हुआ था। उन्होंने अपनी युवावस्था में ही राष्ट्रीयतावादी विचारधारा को अपनाया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने का संकल्प किया। उन्होंने हिंदी-उर्दू के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए गतिविधियों में भाग लिया और अपने भाषणों में ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया।
23 मार्च, 1931 को, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुनाई गई। इसके पहले, उन्हें साजा देने के लिए ताजपोशी की गई थी, लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने आत्म समर्पण की भावना के साथ गले में फांसी की बंधन धारण की और उनके शहीद होने का संदेश समृद्ध संगठनों को दिया।
भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव की शहादत ने भारतीय जनता में अटल विश्वास और स्वाधीनता के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाया। उनके बलिदान ने एक पूरे आन्दोलन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और लोगों में उत्साह, साहस, और स्वाधीनता के प्रति अदम्य जज्बा जगाया।
शहीद दिवस 2024 के अवसर पर, लोग उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं। इस दिन को भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव की अमरता को समर्पित किया जाता है, जो हमें स्वतंत्र भारत के लिए उनके समर्पण को याद दिलाता है।